The 2-Minute Rule for baglamukhi sadhna



 गर्माओ के दिन थे उसकी छोटी बहन को काम करते हुए अटैक आ गया जिसके कारन उसकी मोके पर मौत हो गई । इस लिए वो यह काम नहीं करना चाहता था तो उसका सपना फौजी बनने का था । मैं हमेशां उसको खाने के लिए कुछ न कुछ जरूर देता था इस लिए वो मेरे दोस्त बन गया था । मेरे दोस्त उससे जलते थे । कुछ समय बाद स्कूल ख़तम हो गया । तो बहुत टाइम बाद मैंने रमेश को किसी के घर में काम करते देखा तो मैंने उससे पूछा के तुम तो फौज में जाने वाले थे तुम्हारा किया हुआ तुम्हे नौकरी नहीं मिली । महामारी और दुश्मनों पर विजय के लिए की जाती है बगलामुखी माता की पूजा

मेरा उन साधको के लेया यह जवाब है कोई भी महाविद्या करने से पहले आप उस महाविद्या के बारे में आप ज्ञान हासिल करो । फिर उन की साधना बारे में आप को पता चल जाएगा कोण सी महाविद्या साधना आप के लिए उचित है । वैसे तो हर महाविद्या अपने आप में पूर्ण है

दीप-आरती तीन बार धीमी गति से उतारें। दीप-आरती उतारते समय बाएं हाथ से घंटी बजाएं। दीप जलाने के संदर्भ में ध्यान में रखने योग्य सूत्र:

None of my information is bookish, I have realized it by suffering from myself. I've benefited from that awareness in my everyday living, I want this information to reach the masses.

उक्त कथानक के अनुकूल ‘कृष्ण-यजुर्वेद’ की काठक-संहिता में दो मन्त्र आए हैं, जिनसे श्रीबगला विद्या का वैदिक रूप प्रकट होता है- विराड्-दिशा विष्णु-पत्यघोरास्येशाना सहसो या मनोता ।



धातु की मूर्ति, यंत्र, शालिग्राम इत्यादि हों, तो उन पर जल चढ़ाएं। मिट्टी की मूर्ति हो, तो पुष्प अथवा तुलसीदल से केवल जल छिड़कें। चित्र हो, तो पहले उसे सूखे वस्त्र से पोंछ लें। फिर गीले कपड़े से, पुन: सूखे कपड़े से पोंछें। देवताओं की प्रतिमाओं को पोंछने के लिए प्रयुक्त वस्त्र स्वच्छ हो। वस्त्र नया हो, तो एक-दो बार पानी में भिगोकर तथा सुखाकर प्रयोग करें। अपने कंधे के उपरने से अथवा धारण किए वस्त्र से देवताओं को न पोंछें।

However generally depicted by using a human head, the goddess is sometimes explained to possess a head of a crane and occasionally depicted ridding a crane. Sometimes, she's described linked to other birds: possessing a duck-head or even a nose of the parrot.

‘धरुणः पृथिव्याः’ पद पृथिवी तत्त्व की प्रतिष्ठा बताता है-‘प्रतिष्ठा वै धरुणम्’ (शतपथ ब्राह्मण ७-४-२-५)।

मेरे पास ऐसे बहुत से लोगों के फोन और मेल आते हैं जो एक क्षण में ही अपने दुखों, कष्टों का त्राण करने के लिए साधना सम्पन्न करना चाहते हैं। उनका उद्देष्य देवता या देवी की उपासना नहीं, उनकी प्रसन्नता नहीं बल्कि उनका एक मात्र उद्देष्य अपनी समस्या से विमुक्त होना होता है। वे लोग नहीं जानते कि जो कष्ट वे उठा रहे हैं, वे अपने पूर्व जन्मों में किये गये पापों के फलस्वरूप उठा रहे हैं। वे लोग अपनी कुण्डली में स्थित ग्रहों को देाष देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत परम्परा है। भगवान शिव ने सभी ग्रहों को यह अधिकार दिया है कि वे जातक को इस जीवन में ऐसा निखार दें कि उसके साथ पूर्वजन्मों का कोई भी दोष न रह जाए। इसका लाभ यह होगा कि यदि जातक के साथ कर्मबन्धन शेष नहीं है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। लेकिन हम इस दण्ड को दण्ड न मानकर ग्रहों का दोष मानते हैं।व्यहार में यह भी आया है कि जो जितनी अधिक साधना, पूजा-पाठ या उपासना करता है, वह व्यक्ति ज्यादा परेशान रहता है। उसका कारण यह है कि जब हम कोई भी उपासना या साधना करना आरम्भ करते हैं तो सम्बन्धित देवी – देवता यह चाहता है कि हम मंत्र जप के द्वारा click here या अन्य किसी भी मार्ग से बिल्कुल ऐसे साफ-सुुथरे हो जाएं कि हमारे साथ कर्मबन्धन का कोई भी भाग शेष न रह जाए।

- दीपक की बाती को हल्दी या पीले रंग में लपेट कर सुखा लें।

The anger of the angry person is removed; an evil minded particular person gets great. The short transferring individual gets crippled. The conceit on the conceited human being is diminished. Knowledgeable particular person approximately turns into a fool. Salutations on the compassionate Bagalamukhi!)

भूत-प्रेत, तत्रं-मत्रं प्रयोग को वापस भेजने हेतु बगला विपरीत-प्रत्यंगिरा का अनुष्ठान दुष्टों का नाश कर सरे कष्टों से मुक्ति दिलाता है।

Goddess Bagalamukhi will be the eighth Mahavidya away from ten Mahavidyas. She could be the goddess of immense electrical power which is worshipped to achieve victory over enemies, arguments and so on.

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